Friday, 8 March 2019
Thursday, 21 February 2019
चमोली उत्तराखंड का बेहद सुन्दर और घूमने के लिए पर्यटको के लिए
उत्तम पर्यटन स्थल है ा ऊँचे ऊँचे बर्फ से ढके पहाड़ मानो इस जगह की ख़ूबसूरती को निहारते नज़र आते हैं ा चमोली को चन्द्रपुरगढ़ी तथा अलकापुरी उपनामो से भी जाना जाता है ा उत्तराखंड के चमोली के समीप अलकनंदा नदी बहती हैा अगर आप शांतिमय वातावरण की तलाश में हैं तो इस जगह से और कोई अच्छी जगह नहीं हो सकती ा काफी संख्या में इसकीसुंदरता को निहारने इसकी तरफ खिंचे चले आते हैं ा चमोली में बहुत से मंदिर ताल एवं कई घूमने वाली जगह हैं
कर्णप्रयाग : कर्णप्रयाग चमोली में स्तिथ एक क़स्बा है ये अलकनन्दा
तथा पिंडर नदी के संगम पर स्तिथ है ा यहां पर आप प्रयाग संगम , कर्ण मंदिर , उमा देवी मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। जो की माँ दुर्गा का एक रूप है ा
कर्णप्रयाग का नाम महाभारत के प्रसिद्ध पात्र कर्ण पर पड़ा जिन्होंने कुन्ती के गर्भ से जन्म लिया ा कर्ण ने पांडवो के बड़े भाई होने के बावजूद भी कोरवो की तरफ से युद्ध लड़ा ा कर्ण सूरज पुत्र हैं। मान्यताओं के अनुसार यहां कर्ण अपने पिता सूर्य की आराधना किया करते थे ा ये भी कहा जाता है यहाँ कर्ण को शिव तथा गंगा के दर्शन हुए थे ा
ये मंदिर संगम के किनारे है यहां कर्ण और भगवन कृष्ण की बड़ी बड़ी प्रतिमाएं स्थपित है ा इस मंदिर के प्रांगण ,में ओर भी देवी देवताओं के छोटे छोटे मंदिर हैं ा यहाँ उमा देवी के मंदिर में भी आप दर्शन करने
जा सकते हैं ा


Tuesday, 19 February 2019
उत्तराखंड पहाड़ों की चोटिओं से घिरा राज्य है ा नैनीताल इस राज्य का एक बहुत सुन्दर ज़िला है ा बर्फ़ की चोटियों से घिरा यह ज़िला कुमाऊँ में स्थित है ा नैनीताल का नाम नैनी +ताल से मिल कर बना है ा हिंदी में नैनी का अर्थ है आँखे और ताल का अर्थ है झील। नैनीताल में झीलें बहुत है इसलिए नैनीताल को झीलों का शहर भी कहते हैं ा यहां की एक प्रसिद्ध झील नैनी पर इस ज़िले का नाम पड़ा ा नैनीताल में बहुत से ऐसे पर्यटक स्थल हैं जिसे दूर दूर से सैलानी देखने आते हैं ा नैनी झील, भोवाली ,भीमताल ,नैना देवी मंदिर,सात ताल इनमे से कुछ यहां के मुख्य पर्यटन स्थल हैं ा सर्दियों के मौसम में सैलानी यहां बर्फ़बारी का लुत्फ़ उठाने यहां भरी संख्या में आते हैं ा यहां के लोग बहुत साधरण एवं यहाँ ज्यादातर लोग खेती बाड़ी पर निर्भर करते हैं ा यहां के लोग गढ़वाली, कुमाऊंनी और हिंदी भाषा का प्रयोग अपनी बोलचाल में करते हैं।
नैनीताल परंपरिक भोजन -
यहां के लोगो का भोजन अत्यंत सदा और स्वादिष्ट हैा यहां आएं तो ज़रूर यहां के भोजन का लुफ्त उठाएं ा
आलू के गुटके: यह कुमाऊं का एक वयंजन है ये साधरणतः आलू से बनाए जाने वाली सब्जी है ा इसमें गुटके के आकार में आलू को बड़ा बड़ा काटा जाता है पकाया जाता है यहां के लोगो में यह भी बहुत खाए जाने वाली सब्ज़ी है ा
मंडुए की रोटी : यह रोटी यहां उगाए जाने वाले स्थाई अनाज मंडुआ से बनाई जाती है मंडुआ बरसात में उगाए जाने वाली फसल हैा इसे यहां के लोग तिल की चटनी के साथ खाते हैं ा पहाड़ो में कृषक ,मजदूरों तथा बोझा ढ़ोने वाले लोगों के लिए ये एक पौष्टिक आहार हैा ये रोटी मधमेह ,ब्लड़प्रेशर जैसी कई अन्य बीमारियों से भी लड़ने की शक्ति देता हैा
अरसा : अरसा एक मीठा वयंजन है ा इसे गुड़ और चावलों को पीस कर बनाया जाता है ा यहां की महिलाऐं इसे शादियों के अवसर पर तथा पारिवारिक सभाओं तथा त्योहारों के दौरान बनाती हैं ा इसे खाते ही मुंह में गुड़ और चावल जैसे घुल जाते है ा यह गढ़वाल का पारंपरिक मिष्ठान हैा
बाल मिठाई :नैनीताल की ये सबसे प्रसिद्ध मिठाई है। ये नैनीताल और पुरे उत्तराखंड में यह बहुत खाई जाने वाली मिठाई हैा इस मिठाई को प्रसाद के रूप में सूर्ये देवता को अर्पित की जाती है ा ये मिठाई खोए को भून कर बनाई जाती है एवं इसे चीनी की छोटी छोटी गोलियों से सजाया जाता है ा
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